Add To collaction

आज की राजनीति

आज की राजनीति
, राजनीति अब नीति छोड़ के,
खेले खेल है सारा।
तिलक-मालवीय-गांधी-नेहरू,
का करके बटवारा।
जनता रोए धुवाँधार-
            भगवन,कैसे सपरी??

डीज़ल औ पेट्रोल की कीमत,
छूए गगन-शिखर को।
नेताजी बहु-बहु समझाएँ,
समझ न आए जन को।
होए ठगी का कारोबार-
          भगवन,कैसे सपरी??

कहते हैं मंगल ग्रह पर,
जब होगी अपनी बस्ती।
डीज़ल औ पेट्रोल की बिक्री,
होगी तब अति सस्ती।
जाए यान पवन के पार-
         भगवन,कैसे सपरी??

पानी तब अनमोल बिकेगा,
रोटी-दाल औ ओदन।
बिन तरकारी थाल सजेगी,
मदिरा-मिश्रित भोजन।
डूबे नैया बिच मझधार-
        भगवन,कैसे सपरी??

बुद्धि-विवेक हीन जन-नायक,
जब-जब हुए जगत में।
तब-तब रोयी मानवता है,
धरती के आँचल में।
बरसे पापों के अंगार-
         भगवन,कैसे सपरी??

ईमानदार जननायक सेवक,
मिलता है मुश्किल से।
परोपकार बस ध्येय है उसका,
पूर्ण समर्पित दिल से।
उसका सदा करो सत्कार- 
         भैया,ऐसे सपरी।।
                     ©डॉ. हरि नाथ मिश्र
                          9919446372

   8
5 Comments

Mohammed urooj khan

16-Oct-2023 12:43 AM

👌👌👌👌

Reply

बेहतरीन और यथार्थ चित्रण

Reply

Abhinav ji

14-Oct-2023 08:13 AM

Very nice 👍

Reply